

* तेजी से निस्तारित हाे रहे राजस्व संबंधी वाद* - अन्नदाताओं समेत आमजन मानस के विचारधीन मामलों के निस्तारण में आगरा, गोरखपुर और वाराणसी मंडल ने मारी बाजी - सभी 18 मंडलों में सबसे अधिक आगरा मंडल ने निस्तारित किये 3,381 मामले - पिछले एक वर्ष में मंडलीय न्यायालय में विचाराधीन थे 1,29,296 मामले, जो घटकर हुए 1,15,319
खराखेल फर्रुखाबादी, लखनऊ, 11 अप्रैल: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त निगरानी और दूरदर्शी सोच के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश में राजस्व संबंधी मामलों में गिरावट और उनके निपटारे में तेजी आई है। इससे किसानों को त्वरित न्याय मिल रहा है और प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ रही है। इस गति को बनाए रखने से किसानों और आम जनता को राहत मिलेगी और उत्तर प्रदेश एक सशक्त राज्य के रूप में उभरेगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश के मंडलीय न्यायालयों में राजस्व संबंधी विचाराधीन वादों की संख्या में 13,977 की कमी आई है। 1 अप्रैल 2024 तक 1,29,296 वाद विचाराधीन थे, जो 1 अप्रैल 2025 तक घटकर 1,15,319 हो गए। 3 से 5 वर्ष के लंबित वादों की संख्या 13,797 से घटकर 8,832 और 5 वर्ष से अधिक अवधि के लंबित वादों की संख्या 70,336 से घटकर 51,473 हो गई है। यह कमी योगी सरकार की पारदर्शिता और योजनाओं के प्रभाव को दर्शाती है। 18 मंडलों में आगरा मंडल ने सर्वाधिक 3,381 मामलों का निस्तारण किया। इसके बाद गोरखपुर मंडल (3,222 मामले) और वाराणसी मंडल (2,897 मामले) का स्थान रहा। आगरा मंडल में लंबित मामले 10,335 से घटकर 6,954, गोरखपुर मंडल में 14,002 से घटकर 10,780 और वाराणसी में 17,106 से घटकर 14,209 हो गए हैं। यह प्रशासन की समयबद्ध कार्रवाई का प्रमाण है, जिससे किसानों और आम जनता को राहत मिली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमि से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देने और लंबित वादों की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। ऑनलाइन निगरानी से पारदर्शिता बढ़ी है, जिससे किसानों को न्याय मिलने का विश्वास हुआ है। इन प्रयासों से भूमि स्वामित्व सुनिश्चित हुआ है, विवाद समाप्त हुए हैं, समय और धन की बचत हुई है, सामाजिक तनाव कम हुआ है और निवेश की संभावनाएं बढ़ी हैं। भूमि की वैधता अब शीघ्रता से तय की जा रही है।
4/11/20251 मिनट पढ़ें