

महाकुम्भ में नाट्य प्रस्तुति देकर बापस लौटे फर्रुखाबाद के कलाकार
खराखेल फर्रुखाबादी,फर्रुखाबाद। 23 फरवरी रविवार को प्रयागराज के सेक्टर 21 स्थित संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सरस्वती मंच पर बांके बिहारी आर्ट ग्रुप द्वारा सत्यवादी महाराजा हरिश्चंद्र नाटक का मंचन हुआ। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में महाकुंभ प्रयागराज में सेक्टर 21 के सरस्वती मंच पर बांके बिहारी आर्ट ग्रुप द्वारा शशिकांत पांडेय के संयोजन में सत्यवादी महाराजा हरिश्चंद्र का प्रसंसनीय मंचन हुआ। जिसमें सर्वप्रथम देवर्षि नारद के द्वारा भूमिका स्पष्ट की गई। इंद्रलोक में विश्वामित्र और नारद द्वारा सत्य और धर्म पर चर्चा का दृश्य प्रस्तुत किया गया। जिसमें विश्वामित्र ने देवराज इंद्र को सत्यवादी और धर्म परायण बताया परंतु देवराज देव ऋषि नारद ने अयोध्या नरेश महाराजा हरिश्चंद्र को सत्यवादी और धर्म परायण एवं दानवीर बताया। इसके बाद विश्वामित्र ने महाराजा हरिश्चंद्र की परीक्षा ली और स्वप्न में जाकर उनका राज्य मांग लिया ।हरिश्चंद्र स्वप्न में दिए हुए दान को सत्य मानकर अपना राज्य ऋषिवर विश्वामित्र को सौंप दिया और नगर से बाहर चले गए ।दान की दक्षिणा पुरी ना हो पाने के कारण उन्होंने परिश्रम किया और दक्षिणा देने के लिए राजा हरिश्चंद्र ने अपने आप को काशी के बाजार में बेंच दिया ।रानी तारावती भी एक सेठ के हाथों बिक गई। पुत्र रोहित भी बिक गया और ऋषि विश्वामित्र को दक्षिणा प्रदान की ।राजा हरिश्चंद्र अपने वचन को निभाने के कारण मरघट पर डम बने और रानी तारा एक सेठ के यहां नौकरानी बनी। अनेक विपत्तियो ने घेरा परंतु उन्होंने अपने वचन सत्य और धर्म को नहीं त्यागा। पुत्र को सांप काट लेने पर भी हरिश्चंद्र अपने धर्म पर डटे रहे और तारा से शमशान का कर मांगा तारा के पास कुछ ना हो पाने के कारण वह अपनी साड़ी ही फाड़ कर देने लगी तभी विश्वामित्र प्रकट होकर हरिश्चंद्र और तारा को रोका और परीक्षा की बात कही और कहा कि राजन आज तुमने अपने कर्तव्य निर्वाहन से तीनों लोगों को झुका दिया। महाराजा हरिश्चंद्र आपकी जय हो। विश्वामित्र ने हरिश्चंद्र का राज वापस कर दिया और उनके पुत्र रोहित को भी जीवित कर दिया और कहा कि तुम्हारी इस परीक्षा का गान युगों युगों तक गाया जाएगा। चंद्र टरे सूरज टरे जगत व्यवहार पर दृढ़ हरिश्चंद्र का टरे ना सत्य विचार। सभी ने इस नाटक की भूरि - भूरि प्रशंसा की। इस नाटक मंचन में महाराजा हरिश्चंद्र की भूमिका सुरेन्द्र पाण्डेय,महारानी तारावती कु0 राणा हिजाब , रोहित तेजस पाण्डेय ,ऋषि विश्वामित्र - श श्याम मिश्र "नब्बू" (निर्देशक), देवराज इन्द्र - ऋतिक पाण्डेय "नमन",सूत्रधार एवं देवर्षि नारद अरविन्द कुमार दीक्षित ,मंत्री - उज्जवल पाण्डेय ,सेठ अनुज दीक्षित "सनी" (स्वरूप सज्जा) ,सेठानी - श्रीमती पूनम पाण्डेय ,डोम विदित दीक्षित,बिकवाल शशिकांत पांडे (संयोजक),नगरवासी - अनुभव सारस्वत, शशिकांत पाण्डेय, देव मिश्रा, ऋषिदत्त शर्मा गुड्डू पंडित, विधू मिश्रा आदि अप्सरा कथक नृत्य - कु0अंजलि चौहान आर्गन पर हर्षित मिश्रा ने भूमिका निभाई ।
2/26/20251 मिनट पढ़ें